
जमशेदपुर : टाटानगर रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने के लिए चल रहे पुनर्विकास कार्य ने अब स्टेशन के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थित पार्किंग व्यवस्था को संकट में डाल दिया है। बिना किसी पूर्व सूचना के शुरू हुए निर्माण कार्य के कारण पार्किंग संचालक को न केवल भारी आर्थिक चपत लग रही है, बल्कि यात्रियों के लिए भी वाहन खड़ा करना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
26 दिसंबर से अचानक बदला नजारा
पार्किंग संचालक के अनुसार, 26 दिसंबर 2025 से बिना किसी आधिकारिक नोटिस के पार्किंग स्थल के एक बड़े हिस्से में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। मौके पर भारी मशीनें, निर्माण सामग्री और बड़े वाहनों की आवाजाही के कारण पार्किंग का उपयोग करने योग्य क्षेत्र काफी सिकुड़ गया है।
संचालक की शिकायत: “आजीविका पर सीधा प्रहार”
पार्किंग का संचालन कर रहे राजीव राम (इन ऑन कंस्ट्रक्शन) ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि पार्किंग स्थल पर निर्माण सामग्री और विभागीय वाहनों के कब्जे के कारण आम जनता के वाहनों के लिए जगह नहीं बची है, जिससे रोज़ाना होने वाली आय में भारी कमी आई है। विकास कार्य का स्वागत है, लेकिन बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था या सूचना के काम शुरू करने से उनका व्यावसायिक गणित पूरी तरह बिगड़ गया है। इस संबंध में उन्होंने चक्रधरपुर मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि निर्माण अवधि के दौरान होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
यात्रियों की मुसीबत: कहाँ खड़ा करें वाहन?
स्टेशन आने वाले यात्रियों को भी इस अव्यवस्था का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। पार्किंग स्थल भरा होने के कारण लोग सड़कों के किनारे वाहन खड़ा करने को मजबूर हैं, जिससे मुख्य सड़क पर जाम की स्थिति बन रही है। स्थानीय निवासियों और यात्रियों ने रेलवे प्रशासन से मांग की है कि पुनर्विकास कार्य के दौरान वैकल्पिक पार्किंग की तत्काल व्यवस्था की जाए।
पुनर्विकास और प्रबंधन में समन्वय की कमी
रेलवे का लक्ष्य टाटानगर स्टेशन को आधुनिक सुविधाओं से लैस करना है, लेकिन वर्तमान स्थिति रेल प्रशासन और ठेकेदारों के बीच समन्वय की कमी को दर्शाती है। यदि पार्किंग स्थल को निर्माण के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो अनुबंध के नियमों के तहत संचालक को राहत या स्थान उपलब्ध कराना रेलवे की जिम्मेदारी है।
