
जमशेदपुर:नए साल के आगमन पर जहाँ एक ओर शहर जश्न में डूबा है, वहीं दूसरी ओर टाटा-रांची नेशनल हाईवे -33 स्थित प्राचीन पारडीह काली मंदिर आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बना हुआ है। साल के अंतिम दिन से शुरू हुए विशेष अनुष्ठान की गूँज पूरे क्षेत्र में सुनाई दे रही है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, 1 जनवरी को यहाँ आयोजित होने वाले भव्य भंडारे में 35 से 40 हजार श्रद्धालुओं के पहुँचने की संभावना है।
35 वर्षों की अटूट परंपरा: सामाजिक समरसता की मिसाल
मंदिर के महंत विद्यानंद सरस्वती ने बताया कि पिछले 35 वर्षों से यहाँ पहली जनवरी को विशेष भंडारा और अनुष्ठान आयोजित करने की परंपरा चली आ रही है। इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सामाजिक समरसता है। यहाँ बिना किसी भेदभाव के सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग एक ही पंगुति में बैठकर महाप्रसाद ग्रहण करते हैं।
देशभर से जुटेंगे साधु-संत
इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए केवल स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि देशभर के विभिन्न कोनों से साधु-संतों और संन्यासी समाज के लोगों का जुटान हो रहा है। महंत जी ने बताया कि साल के अंतिम दिन विशेष पूजा-अर्चना के साथ अनुष्ठान का श्रीगणेश हो चुका है, जिसकी भव्य पूर्णाहुति 1 जनवरी को महाभंडारे के साथ होगी।
महंत की अपील: “मांस-मदिरा त्याग कर करें नए साल का स्वागत”
महंत विद्यानंद सरस्वती ने शहरवासियों और श्रद्धालुओं से एक विशेष मार्मिक अपील की है। उन्होंने कहा नए साल की शुरुआत ईश्वर के आशीर्वाद के साथ होनी चाहिए। मैं लोगों से आग्रह करता हूँ कि पहली तारीख को मांस और मदिरा जैसे तामसिक पदार्थों का त्याग करें। सात्विक मन से मंदिर आएं और ईश्वर भक्ति में लीन होकर आने वाले वर्ष को मंगलमय बनाएं।
सुरक्षा और सेवा के पुख्ता इंतजाम
हजारों की भीड़ को देखते हुए मंदिर कमेटी ने व्यापक इंतजाम किए हैं। भारी संख्या में श्रद्धालुओं के लिए निरंतर महाप्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई है।NH-33 पर स्थित होने के कारण सड़क पर जाम न लगे, इसके लिए स्वयंसेवकों और पुलिस बल की तैनाती की गई है। मंदिर को फूलों और दीपों से भव्य रूप से सजाया गया है, जिससे यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को शांति और सकारात्मकता का अनुभव हो रहा है।
दर्शन समय
मंदिर के द्वार 1 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।महाप्रसाद का वितरण सुबह से लेकर देर शाम तक अनवरत जारी रहेगा।
