
जमशेदपुर।श्रीनाथ विश्वविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ द्वारा मंगलवार को “यौन उत्पीड़न की समझ और कानूनी अधिकार” विषय पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं को लैंगिक संवेदनशीलता, सुरक्षा उपायों और कानूनी प्रावधानों की गहरी जानकारी देना था, ताकि परिसर में एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित किया जा सके।
मुख्य विशेषज्ञ ने किया मार्गदर्शन
इस अवसर पर अधिवक्ता एवं डीबीए जमशेदपुर के पूर्व महासचिव अनिल कुमार तिवारी मुख्य विशेषज्ञ और अतिथि के रूप में मौजूद रहे। अपने संबोधन में उन्होंने यौन उत्पीड़न के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाया और छात्रों को उपलब्ध कानूनी अधिकारों एवं उपायों की जानकारी दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि—
“कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूकता ही सुरक्षित और सम्मानजनक शैक्षणिक वातावरण बनाने की पहली शर्त है।”सत्र के दौरान छात्रों ने गहरी रुचि दिखाई और कई व्यवहारिक प्रश्न पूछे। विद्यार्थियों ने यह जानना चाहा कि—कानून की दृष्टि से छेड़छाड़, मज़ाक और उत्पीड़न में क्या अंतर है?यदि कोई मित्र उत्पीड़न का शिकार हो रहा है तो बिना खुद को जोखिम में डाले मदद कैसे की जा सकती है?कब कोई मजाक या संदेश सीमा लांघकर उत्पीड़न की श्रेणी में आ जाता है?विशेषज्ञ अतिथि ने सभी प्रश्नों का उत्तर सरल उदाहरणों और व्यावहारिक दृष्टांतों के माध्यम से दिया, जिससे सत्र और अधिक प्रभावशाली और सार्थक बन गया।
विश्वविद्यालय प्रशासन शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) एस. एन. सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. मौसुमी महतो, और आईसीसी महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष सहायक प्रोफेसर कमलेश्वरी वर्मा भी उपस्थित थीं। कुलपति ने कहा कि श्रीनाथ विश्वविद्यालय एक सुरक्षित, समावेशी और कानूनी रूप से जागरूक शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।सत्र का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस दौरान यह दोहराया गया कि ऐसे कार्यक्रमों के जरिए छात्रों में न सिर्फ कानूनी जागरूकता बढ़ती है, बल्कि एक-दूसरे के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता भी विकसित होती है।