
पोटका : आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा की एक महत्वपूर्ण बैठक बुधवार को हाता में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता जुड़ी ग्राम प्रधान भीमसेन सरदार ने की। इस बैठक में पोटका प्रखंड के आदिवासी भूमिज और मुंडा समाज ने एक बड़ा निर्णय लिया है।समिति ने तय किया है कि कुड़मी समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ गुरुवार, 9 अक्टूबर को जमशेदपुर में आयोजित होने वाली ‘आदिवासी बचाओ जन आक्रोश रैली’ में पोटका प्रखंड से हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे।
कुड़मियों का आंदोलन असंवैधानिक
मोर्चा के वरिष्ठ नेता महीन सरदार ने बैठक को संबोधित करते हुए कुड़मी समुदाय द्वारा आदिवासी का दर्जा दिए जाने हेतु किए जा रहे आंदोलन को “बिल्कुल असंवैधानिक” करार दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कुड़मी समुदाय कभी आदिवासी हो ही नहीं सकते।महीन सरदार ने आदिवासी समाज के इतिहास और शौर्य का उल्लेख करते हुए कहा: “इतिहास गवाह है कि आदिवासी समाज के वीर पुरुषों ने जब-जब सामाजिक व्यवस्था, जंगल, जमीन, अस्तित्व, पहचान और संवैधानिक हक-अधिकार पर खतरा मंडराया है, तो तीर की नोक पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाए हैं।
एक और हूल विद्रोह के लिए तैयार रहें
‘उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों को गंभीर बताते हुए कहा कि आज आदिवासी समाज को अपने अधिकार सुरक्षित एवं संरक्षित रखने हेतु ‘एक और हूल विद्रोह’ के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने आह्वान किया कि आदिवासी समाज अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु कल भारी संख्या में जमशेदपुर पहुंचे और उपायुक्त के समक्ष विरोध प्रदर्शन करें।
हाता चौक से जमशेदपुर कूच
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पोटका के सभी आदिवासी गुरुवार सुबह 9.30 बजे हाता चौक पर एकत्रित होंगे और वहां से रैली के शक्ल में जमशेदपुर के लिए कूच करेंगे।मोर्चा ने पोटका प्रखंड के समस्त आदिवासी समाज से अपील की है कि वे भारी संख्या में इस जन आक्रोश रैली में शामिल होकर अपनी एकता और संवैधानिक अधिकारों के प्रति सजगता का परिचय दें।बैठक में धिरेन सरदार, बलदेव सरदार, नंदलाल सरदार, श्रीकांत सरदार, जयपाल मुंडा, मानिक सरदार, सुभाष सरदार, गोपेश सरदार, सुधीर सरदार, श्यामल सरदार सहित अन्य गणमान्य आदिवासी नेता एवं ग्रामीण उपस्थित थे।