जमशेदपुर: जमशेदपुर के बहुचर्चित नागाडीह मॉब लिंचिंग हत्याकांड में आखिरकार आठ साल बाद न्याय का फैसला आया है। साल 2017 में बच्चा चोर की अफवाह पर हुई सनसनीखेज घटना के मामले में, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमलेश कुमार सहाय की अदालत ने पाँच आरोपितों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।दोषी करार दिए गए आरोपितों में राजाराम हांसदा, रेंगो पूर्ति, गोपाल हांसदा, सुनील सरदार और तारा मंडल शामिल हैं। हालाँकि, इस मामले में कुल 28 लोगों पर आरोप तय किए गए थे, लेकिन अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में अन्य आरोपितों को बरी कर दिया।
क्या था नागाडीह हत्याकांड?
यह घटना 18 मई 2017 की शाम बागबेड़ा थाना क्षेत्र के नागाडीह में घटी थी, जिसने उस वक्त पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। बच्चा चोर की अफवाह फैलने के बाद, हरवे-हथियार से लैस उग्र ग्रामीणों की भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में ही तीन युवकों की पीट-पीटकर नृशंस हत्या कर दी थी।मारे गए युवकों की पहचान जुगसलाई नया बाजार के विकास वर्मा, उसके भाई गौतम वर्मा और बागबेड़ा गाढ़ाबासा निवासी गंगेश के रूप में हुई थी।
दादी की भी हुई थी मौत
घटना के सबसे हृदयविदारक पहलुओं में से एक यह था कि मृतक युवकों की 76 वर्षीय दादी, रामसखी देवी, भीड़ से अपने पोतों को छोड़ देने की गुहार लगाती रहीं, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। क्रूर भीड़ ने उन पर भी हमला कर दिया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गईं। चोटों के कारण, बाद में 20 जून 2017 को रामसखी देवी की भी मौत हो गई थी।*एफएसएल रिपोर्ट से मिली मदद*यह मामला लंबे समय तक अदालत में चला। हत्या के छह साल बाद, 2023 में चंडीगढ़ से एफएसएल (FSL) रिपोर्ट अदालत में पेश की गई। इसी महत्वपूर्ण रिपोर्ट और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने पाँच आरोपितों को दोषी ठहराया, जबकि साक्ष्य के अभाव में बाकी को बरी कर दिया गया। दोषियों में से राजाराम हांसदा को छोड़कर बाकी सभी आरोपित जमानत पर रिहा थे।
पीड़ित परिवार को मिली न्याय की किरण
मृतकों के परिवार की पीड़ा आज भी कम नहीं हुई है। घटना के प्रत्यक्षदर्शी उत्तम वर्मा ने बताया कि उस रात जो कुछ हुआ, वह किसी साजिश से कम नहीं था। उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदगी में भीड़ ने हत्या की और तो और पुलिस पर भी हमला किया गया। उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि आज भी जब वह उस दिन को याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।उत्तम वर्मा की शिकायत पर बागबेड़ा थाना में 15 नामजद और 300 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लगभग आठ वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, अदालत द्वारा दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाना, पीड़ित परिवार के लिए न्याय की एक किरण लेकर आया है।