
जमशेदपुर। कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में गुरुवार को आदिवासी समाज ने जमशेदपुर में जोरदार ‘आक्रोश रैली’ निकाली। विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में पारंपरिक हथियारों के साथ आदिवासी समुदाय के लोग एकत्रित हुए और उपायुक्त कार्यालय तक रैली की शक्ल में पहुँचे।आदिवासी समाज ने सरकार को सीधी चेतावनी दी है कि उनकी संस्कृति, पहचान और संवैधानिक अधिकारों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।
‘सोची समझी साजिश’ है कुड़मी समाज की मांग
आक्रोश रैली का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेताओं ने कुड़मी समाज की एसटी में शामिल होने की मांग को आदिवासी अधिकारों पर सीधा हमला और एक ‘सोची समझी साजिश’ करार दिया।आदिवासी नेताओं ने कहा कि उनका कुड़मी समुदाय से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, लेकिन जब दोनों समुदायों की पहचान, रहन-सहन, पूजा पद्धति, भाषा और परंपरा पूरी तरह से अलग हैं, तो उन्हें आदिवासी कैसे माना जा सकता है?
नेताओं ने अपनी जनजातीय पहचान को रेखांकित करते हुए कहा:
“जंगलों से हमारा रिश्ता है।”
“हम पेड़-पत्थर को पूजते हैं।”
“हमारी संस्कृति पर चोट बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
केंद्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप
आदिवासी नेताओं ने केंद्र सरकार पर कुड़मी समुदाय को आगे कर राजनीति करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एक सोची समझी साजिश के तहत यह राजनीतिक दाँव चल रही है, जिसे आदिवासी समाज किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगा।आक्रोश रैली में सभी आदिवासी समाज के लोगों ने एकजुटता प्रदर्शित की और उपायुक्त कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी अपने पारंपरिक हथियारों (धनुष-बाण) के साथ शामिल हुए, जो उनकी दृढ़ता और अधिकारों के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
आक्रोश रैली के समापन पर, आदिवासी समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने कुड़मी समाज को एसटी में शामिल करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने और आदिवासी हितों की रक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।