
जमशेदपुर: दीपों का महापर्व दीपावली आने वाला है, और इस बार शहर में मिट्टी के दीयों और ‘घरौंदे’ (मिट्टी के छोटे घर) का महत्व खासा बढ़ गया है। मिट्टी के दीये और घरौंदे को स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, जिसके चलते लोग इन्हें खरीदकर पारंपरिक ढंग से दीपावली मनाते हैं।इस उत्साह को और भी बढ़ावा मिला है, क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से दीपावली में ‘स्वदेशी’ सामानों – यानी कुम्हारों द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीयों और घरौंदों को खरीदने की अपील की है।
सड़क किनारे सजी ‘मिट्टी की सौगात’
जमशेदपुर के प्रमुख मार्ग, बिष्टुपुर से साकची जाने वाली सड़क पर गरम नाले के पास, इस अपील का सीधा असर देखा जा रहा है। यहां शहर के बाहर से आए झारखंड के कारीगर कुम्हार अपनी दुकानें लगाकर बैठे हैं। उनकी दुकानों पर अपार्टमेंट या डुप्लेक्स के बजाय मिट्टी के दिए, घरौंदे और दीपावली में घरों को सजाने के लिए मिट्टी से बने विभिन्न सामान उपलब्ध हैं। ये कुम्हार हर साल दीपावली के समय शहर में आकर अपने हस्तनिर्मित उत्पादों को बेचते हैं।इस बार कुम्हारों के चेहरे पर भी खुशी साफ झलक रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री की अपील के बाद मिट्टी के बने सामानों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है।
खरीदारों ने बताया ‘आत्मनिर्भरता’ का महत्व
मिट्टी के इन पारंपरिक सामानों की खरीदारी करने आए लोगों का कहना है कि दीपावली में मिट्टी के दीये, घरौंदे और मिट्टी से बने सजावटी सामानों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है।कुछ खरीदारों ने सीधे तौर पर कहा कि वे प्रधानमंत्री की अपील से प्रेरित होकर मिट्टी के दिए और घरौंदे खरीद रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में योगदान दे रहे हैं और अपने देश के कुम्हारों को सीधे आर्थिक मदद पहुंचा रहे हैं।खरीदारों ने शहर के अन्य लोगों से भी अपील की है कि वे इस दीपावली में सिर्फ कुम्हारों से ही मिट्टी के दिए, घरौंदे और सजावट के सामान खरीदें।
बच्चों में उत्साह, बड़ों को याद आया बचपन
दीपावली का त्योहार खासकर बच्चों में खासा उत्साह भरता है। बच्चे साल भर इसका इंतजार करते हैं, और इस समय अपने घर के साथ-साथ खरीदे गए मिट्टी के घरौंदों को भी सजाते हैं। प्रधानमंत्री की अपील का असर जमशेदपुर के बच्चों में भी दिख रहा है, जो गर्व से अपने देश में बने सामानों का उपयोग करते नजर आ रहे हैं।वहीं, बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि इन घरौंदों को देखकर उन्हें अपना बचपन याद आ जाता है, जब वे खुद मिट्टी और ईंटों से दीपावली के लिए छोटे घर बनाया करते थे। कुछ खरीदारों ने जोश में आकर कहा कि वे सब अपने देश के बने सामानों का उपयोग करके अंतरराष्ट्रीय व्यापार चुनौतियों का करारा जवाब देंगे।
