
जमशेदपुर। जमशेदपुर प्रखंड अंतर्गत कीताडीह गांव में सोमवार को पारंपरिक सोहराय पर्व का विधिवत शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर गांव के नायके (पुजारी) बाबा महाबीर मुर्मू द्वारा ‘गोट बोंगा’ (पशुओं के लिए विशेष पूजा) की गई।सोहराय पर्व की शुरुआत के साथ ही पूरा गांव आदिवासी संस्कृति और परंपरा के रंग में डूब गया है।
मरांग बुरु और ग्राम देवताओं की हुई पूजा
नायके महाबीर मुर्मू ने पारंपरिक विधि-विधान से मरांग बुरु (पहाड़ देवता), जाहेर आयो (जाहेर देवी), ग्राम देवता, मोड़े और तुराई सहित समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की।इस अवसर पर महाबीर मुर्मू ने ‘गोट बोंगा’ के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि सोहराय पर्व में यह विशेष पूजा पशुओं को धन्यवाद करने के लिए की जाती है।महाबीर मुर्मू ने कहा, “गाय, बैल हमारे कृषि कार्यों में अहम सदस्य हैं। उनके परिश्रम से ही हमें धान, चावल और सभी प्रकार की खाद्य सामग्री प्राप्त होती है। हम देवी-देवताओं से प्रार्थना करते हैं कि हमारा यह पशुधन हमेशा तंदुरुस्त रहे।”
गाय-बैलों को सजाने और नचाने की परंपरा
पूजा के दूसरे दिन सभी ग्रामवासियों द्वारा गांव में गाय और बैलों को सजाया जाएगा, उन्हें नचाया जाएगा और उनकी विशेष सेवा की जाएगी। यह पाँच दिवसीय पर्व फसल कटाई के बाद प्रकृति और पशुधन के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे, जिनमें मुख्य रूप से बंगाल माझी, किशुन मुर्मू, संजीव हेंब्रम, विकाश मुर्मू, जोक माझी, नारायण हेंब्रोम, मधु सोरेन, हेमन्त सोरेन, राजा राम मुर्मू, चुनू हेंब्रोम, बिंदु सोरेन, गुरबा हांसदा, खेला सोरेन, किशुन सोरेन, रामराय सोरेन, सुन्दर सोरेन, गणेश हेंब्रोम, मंगल सोरेन आदि शामिल थे।
