चाईबासा: झारखंड में फ्रांसीसी पर्यटकों का दल, मझगांव के मध्य विद्यालय देवधर पहुंचा; ‘हो’ जनजाति संग्रहालय का अवलोकन कर हुए प्रभावित

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चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिले के मझगांव प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय देवधर में स्थित ‘हो’ जनजातीय जीवन दर्शन पर आधारित संग्रहालय इन दिनों विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शनिवार को पांच सदस्यीय फ्रांसीसी पर्यटकों का एक दल संग्रहालय का अवलोकन करने पहुंचा।

आदिवासी परंपरा से हुआ भव्य स्वागत

ट्राइबल इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पश्चिमी सिंहभूम जिला सचिव अनमोल पाट पिंगुवा की अगुवाई में पहुंचे फ्रांसीसी पर्यटकों का विद्यालय प्रबंधन समिति और अभिभावकों द्वारा आदिवासी परंपरा अनुसार भव्य स्वागत किया गयाउन्हें हाथ धुलाकर परिसर में प्रवेश कराया गया।सम्मान स्वरूप फूल मालाएं, बुके और पत्ते की टोपियां पहनाई गईं।पारंपरिक मांदल व नगाड़े की थाप पर स्कूली बच्चे-बच्चियों ने नृत्य करते हुए दल की अगुवाई की और उन्हें संग्रहालय तक ले गए।

‘हो’ जीवन दर्शन का गहन अध्ययन

फ्रांसीसी पर्यटकों ने संग्रहालय में संरक्षित हर चीज का गहन अध्ययन किया और ‘हो’ जनजातियों के जीवन दर्शन का जायजा लिया। वे संग्रहित सामग्री, जो ‘हो’ जनजीवन में उपयोगी हैं, को अपने कैमरे में कैद करते रहे और उनकी उपयोगिता को अपनी डायरी में अंकित किया।इस सफल आयोजन के स्वागत दल में विद्यालय के प्रभारी जगदीश चन्द्र सावैयां, विज्ञान शिक्षक देवानंद तिरिया, हो शिक्षक सुभाष हेम्ब्रम, पारंपरिक वाद्य यंत्र प्रशिक्षक बलभद्र हेम्ब्रम, ग्राम मुंडा श्याम पिंगुवा, हो भाषा राज्य साधनसेवी शिक्षक कृष्णा देवगम व मंगल सिंह मुंडा समेत एसएमसी अध्यक्ष चंद्रमोहन पिंगुवा और बाल संसद अध्यक्ष संगीता पुरती सहित काफी संख्या में अभिभावक शामिल थे।

विदेशी पर्यटकों का बढ़ता आकर्षण

ज्ञात हो कि वर्ष 2017 में तत्कालीन कोल्हान प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक अरविंद विजय बिलुंग की प्रेरणा से स्थापित यह संग्रहालय, विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। इससे पहले नीदरलैंड के इतिहासकार पॉल स्ट्रूमर भी कोल्हान के वीर योद्धा पोटो हो की जीवन गाथा का अध्ययन करने के लिए इस संग्रहालय का दीदार कर चुके हैं। इस बढ़ते आकर्षण से विद्यालय के शिक्षकगण, प्रबंधन समिति, अभिभावकों एवं बच्चों में काफी उत्साह है और वे इसे हमेशा अपडेट बनाए रखने के लिए उत्सुक हैं।

टाटा कॉलेज कॉलोनी संग्रहालय को पुनर्स्थापित करने की मांग

इधर, जनजातीय जीवन दर्शन के अध्ययन में विदेशी पर्यटकों की बढ़ती उत्सुकता को देखते हुए, जिला मुख्यालय सदर चाईबासा में स्थित टाटा कॉलेज कॉलोनी विद्यालय में बने संग्रहालय को पुनर्स्थापित करने की सोच शिक्षकों एवं बुद्धिजीवियों के बीच उभरने लगी है।ज्ञात हो कि टाटा कॉलेज कॉलोनी विद्यालय में मंत्री सह स्थानीय विधायक दीपक बिरुवा के फंड से संग्रहालय निर्मित है, लेकिन सामग्रियां नष्ट होने के कारण वर्तमान में भवन का उपयोग अन्य शिक्षण कार्य में किया जा रहा है। अब शिक्षकों और बुद्धिजीवियों ने मांग की है कि इस संग्रहालय को भी पुनर्जीवित किया जाए, ताकि जनजातीय संस्कृति के अध्ययन के लिए चाईबासा में दो केंद्र उपलब्ध हो सकें।

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