
जमशेदपुर: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार की दूसरी पाली की पहली वर्षगांठ (28 नवंबर) के अवसर पर जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सरकार द्वारा 10,000 युवाओं को नियुक्ति और ‘सरकार आपके द्वार’ जैसे कार्यक्रमों की घोषणाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए, सरयू राय ने चेतावनी दी है कि यदि ज़मीनी हकीकत पर ध्यान नहीं दिया गया तो वर्तमान योजनाओं का हश्र भी पूर्व घोषित कार्यक्रमों जैसा ही होगा, जो अब ‘कब्रगाह’ बन चुके हैं।
सेवा का अधिकार अधिनियम दम तोड़ चुका है
सरयू राय ने अपने बयान में ‘सरकार आपके द्वार कार्यक्रम’ के मुख्य आधार, सेवा का अधिकार अधिनियम (Right to Service Act)पर सवाल उठाए।उन्होंने कहा कि राज्य मुख्यालय से लेकर जिला और प्रखंड मुख्यालय तक सेवा का अधिकार अधिनियम दम तोड़ चुका है। विधायक ने कहा कि केवल सरकार का एक साल पूरा होने पर एक सप्ताह तक इसे याद करना “जले पर नमक छिड़कने जैसा” है।उन्होंने आरोप लगाया कि किसी भी सरकारी कार्यालय में ऐसे पट्ट नहीं लगे हैं, जिससे नागरिक जान सकें कि इस अधिनियम के तहत उनके अधिकार क्या-क्या हैं। राय के अनुसार, हर कार्यालय में हजारों आवेदन लंबित हैं, और लोग कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं तथा ‘सेवा शुल्क’ देने पर विवश हैं।
करोड़ों की संरचनाएं बनीं, पर उपयोग नहीं हुई
सरयू राय ने उन सरकारी कार्यक्रमों की ओर भी ध्यान दिलाया, जिनके तहत संरचनाएं तो बन गईं, लेकिन उपयोग न होने के कारण अब जर्जर हो रही हैं।उन्होंने जमशेदपुर के कदमा में बने कन्वेंशन सेंटर और साकची में बने डीएम लाइब्रेरी भवन का उदाहरण दिया। ये भवन करोड़ों के खर्च पर पांच साल पहले बन गए, लेकिन उपयोग न होने के कारण जर्जर हो रहे हैं और इनकी मरम्मत पर फिर करोड़ों खर्च होंगे।
नगरपालिकाओं की निधि पर सवाल
विधायक ने 15वें वित्त आयोग से मिली निधि के उपयोग पर नगर पालिकाओं की जवाबदेही तय करने की मांग की। श्री राय ने कहा कि सरकार को अपनी वर्षगांठ पर जमशेदपुर के आसपास के नगर निकायों –जेएनएसी, मानगो नगर निगम, आदित्यपुर नगर निगम, जुगसलाई नगर परिषद से पूछना चाहिए कि उन्होंने 15वें वित्त आयोग की करोड़ों की निधि का क्या किया? उन्होंने चेतावनी दी कि मुख्यालय से उपलब्धियों की घोषणाएं होती रहेंगी और सरज़मीं पर इनकी क़ब्रगाह बनती रहेगी, जिससे सरकारी धन ज़ाया होता रहेगा।सरयू राय ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे डीएमएफटी और स्वास्थ्य विभाग के कारनामों पर भी नज़र डालें, जो ‘रोजाना अख़बारों की सुर्खियों में हैं।’
