
चाईबासा। कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के मानविकी संकाय द्वारा मंगलवार को पी.जी. विभाग के सभागार में महान कवि, चिंतक, समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती की स्मृति में ‘भारतीय भाषा दिवस’ का आयोजन किया गया।यह कार्यक्रम भाषा की महत्ता, सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और सुब्रमण्यम भारती के बहुआयामी योगदान को समर्पित था। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सुब्रमण्यम भारती के चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ हुआ।
वक्ताओं ने किया भारती के बहुआयामी व्यक्तित्व को याद
कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ. तपन कुमार खनराह ने की, जबकि विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के हिंदी विभाग से प्रो. (डॉ.) मिथिलेश कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। डॉ. तपन कुमार खनराह ने सुब्रमण्यम भारती के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला, उन्हें एक महान कवि, विचारक, समाज सुधारक एवं सक्रिय राष्ट्रवादी बताया। उन्होंने कहा कि “भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं है, बल्कि वह भारत में हमारी सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनीतिक पहचान का सशक्त आधार है।”हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पीयूष कुमार ने अपने वक्तव्य में स्थानीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जाति एवं लिंग समानता पर आधारित समाज की स्थापना के लिए सुब्रमण्यम भारती के संघर्ष को भी रेखांकित किया।
मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) मिथिलेश कुमार सिंह ने अपने विद्वतापूर्ण व्याख्यान में सुब्रमण्यम भारती के साहित्यिक योगदान के साथ-साथ भारतीय भाषाओं की स्थिति, महत्त्व एवं विविधता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने भारतीय भाषाओं की वर्तमान स्थिति को वैश्विक स्तर पर लुप्तप्राय भाषाओं की चिंता से भी जोड़ा, जिससे भाषा संरक्षण की तात्कालिक आवश्यकता महसूस होती है।
कार्यक्रम में विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं विश्वविद्यालय के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ हुआ।
