
गुवा : गुवा सेल प्रबंधन द्वारा अतिक्रमण हटाने की कवायद को स्थानीय विस्थापितों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। शुक्रवार को जाटा हाटिंग क्षेत्र में नोटिस चिपकाने पहुंचे सेल अधिकारियों, पुलिस प्रशासन और सीआईएसएफ के जवानों को ग्रामीणों ने तीन घंटे तक सड़क जाम कर बस्ती में प्रवेश करने से रोक दिया।
स्कूली बच्चों ने भी बुलंद की आवाज
विरोध प्रदर्शन का नजारा उस वक्त बेहद भावुक और गंभीर हो गया जब विस्थापित परिवारों के साथ-साथ उनके छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी हाथों में तख्तियां लेकर सड़क पर उतर आए। झारखंड मुक्ति मोर्चा के बैनर तले आयोजित इस प्रदर्शन में बच्चों ने अपनी “बस्ती उजाड़े जाने” के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक चले इस जाम के कारण यातायात पूरी तरह ठप रहा। विस्थापितों की भारी एकजुटता को देखते हुए प्रशासन और सेल की टीम बिना नोटिस चिपकाए वापस लौटने पर मजबूर हो गई।
क्या है विवाद की मुख्य वजह?
गुवा सेल प्रबंधन रेल परियोजना के विस्तार के लिए जाटा हाटिंग, नानक नगर, डिपासाई, डीवीसी और स्टेशन कॉलोनी क्षेत्रों को खाली कराना चाहता है। इसके लिए प्रबंधन ने निष्कासन नोटिस जारी किए हैं। सेल का कहना है कि वे विस्थापितों को पुनर्वास के तहत नए आवास उपलब्ध करा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में जिन घरों में चार-चार परिवार रह रहे हैं, प्रबंधन उनके बदले केवल एक छोटा आवास दे रहा है। इतने कम स्थान में पूरे परिवार का रहना असंभव है।
सांसद जोबा माझी का कड़ा रुख
इस मामले में सिंहभूम की सांसद जोबा माझी ने पहले ही हस्तक्षेप करते हुए सेल प्रबंधन के साथ बैठक की थी। सांसद ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि जब तक जाटा हाटिंग के प्रत्येक परिवार को अलग-अलग आवास आवंटित नहीं कर दिया जाता, तब तक किसी भी हाल में बस्ती खाली नहीं कराई जाएगी।
विस्थापितों की दो टूक चेतावनी
आंदोलनकारियों ने स्पष्ट किया है कि वे विकास विरोधी नहीं हैं, लेकिन उनके हक के साथ समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विस्थापितों ने प्रबंधन को चेतावनी दी है कि यदि दोबारा बिना उचित समाधान के नोटिस चिपकाने की कोशिश की गई, तो उग्र आंदोलन होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सेल प्रबंधन की होगी।
