
सरायकेला-खरसावां जिले में नव नियुक्त सहायक आचार्यों के पदस्थापन में विभागीय एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का पालन नहीं किए जाने से नाराज शिक्षकों ने मंगलवार को उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। सहायक आचार्यों के प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन की एक प्रति जिला स्थापना समिति की अध्यक्ष एवं उप विकास आयुक्त को भी दी है।ज्ञापन में सहायक आचार्यों ने आरोप लगाया है कि जिला शिक्षा स्थापना समिति द्वारा जारी पदस्थापन सूची में विभागीय एसओपी की पूरी तरह अनदेखी की गई है। एसओपी के अनुसार, सहायक आचार्यों का पदस्थापन उनके गृह प्रखंड में किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें आवागमन और पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन में कठिनाई न हो। लेकिन जिले में जारी सूची के अनुसार कई सहायक आचार्यों को उनके गृह प्रखंड के बजाय अन्य प्रखंडों में पदस्थापित कर दिया गया है।
महिला और दिव्यांग सहायक आचार्यों को हो रही परेशानी
सहायक आचार्यों ने बताया कि इस सूची में कई महिला और दिव्यांग शिक्षक भी शामिल हैं, जिन्हें उनके गृह प्रखंड से अलग सुदूर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में पदस्थापन दिया गया है। इससे उन्हें रोजाना आवागमन में गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।दिव्यांग सहायक आचार्य अनादि कुमार ने बताया कि स्थापना समिति द्वारा उनका पदस्थापन उनके गृह स्थान से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित एक विद्यालय में किया गया है। शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण उनके लिए प्रतिदिन विद्यालय आना-जाना अत्यंत कठिन हो गया है। उन्होंने कहा कि विभागीय एसओपी दिव्यांग शिक्षकों को विशेष प्राथमिकता और सुविधा देने की बात करता है, लेकिन यहां उसका पालन नहीं किया गया।
अन्य जिलों में SOP का पालन, यहां अनदेखी
सहायक आचार्य कुणाल दास ने कहा कि झारखंड के अन्य जिलों में सहायक आचार्यों के पदस्थापन के दौरान एसओपी का पूरी तरह पालन किया गया है। कई जिलों में शिक्षकों से पदस्थापन को लेकर विकल्प (ऑप्शन) भी मांगे गए हैं, ताकि उनकी परिस्थितियों को ध्यान में रखा जा सके। लेकिन सरायकेला-खरसावां जिले में पदस्थापन प्रक्रिया के दौरान एसओपी की पूरी तरह अनदेखी की गई है, जिससे शिक्षकों में असंतोष व्याप्त है।
नए सिरे से पदस्थापन की मांग
सहायक आचार्यों ने उपायुक्त से मांग की है कि विभागीय एसओपी के अनुरूप पदस्थापन प्रक्रिया की पुनः समीक्षा की जाए और गृह प्रखंड को प्राथमिकता देते हुए नए सिरे से पदस्थापन सूची जारी की जाए। शिक्षकों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो वे आगे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।उपायुक्त को सौंपे गए ज्ञापन के बाद शिक्षकों को उम्मीद है कि जिला प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेगा और न्यायोचित समाधान निकालेगा, ताकि नव नियुक्त सहायक आचार्य बिना किसी बाधा के अपने शिक्षण कार्य का निर्वहन कर सकें।
