
जमशेदपुर। डिमना क्षेत्र स्थित मिर्जाडीह बांध विस्थापित एवं रैयत संघर्ष मोर्चा के बैनर तले मंगलवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने पारंपरिक हथियारों के साथ डिमना चौक से पैदल मार्च करते हुए उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान कुल 21 गांवों के ग्राम प्रधान, मुखिया और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
उपायुक्त को सौंपा गया पांच सूत्री मांग पत्र
प्रदर्शनकारियों ने जिला उपायुक्त को एक पांच सूत्री मांग पत्र सौंपा। प्रमुख मांगों में शामिल हैं –मिर्जाडीह रैयतों के घर तोड़ने वाले दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी।सभी गांवों में सड़क निर्माण की व्यवस्था।विस्थापितों को विस्थापन प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना।टाटा लीज नवीकरण समिति में विस्थापित प्रतिनिधि की भागीदारी सुनिश्चित करना।विस्थापितों के पुनर्वास और मूलभूत सुविधाओं की गारंटी।
प्रदर्शनकारियों ने लगाया टाटा कंपनी और प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हाल ही में राजकीय शोक के दौरान टाटा कंपनी और जिला प्रशासन की मिलीभगत से रैयतों के घर तोड़े गए। यह कार्रवाई असंवेदनशील और अन्यायपूर्ण है, जिससे यह साफ प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन कंपनी के इशारे पर काम कर रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि लगातार मूलनिवासियों और रैयतों का दमन किया जा रहा है, लेकिन उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
30 दिनों का अल्टीमेटम, उग्र आंदोलन की चेतावनी
प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर 30 दिनों के भीतर कार्रवाई नहीं होती है, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि अब सभी मूलनिवासी रैयत आंदोलन के रास्ते पर उतर चुके हैं और वे किसी भी हाल में अपने अधिकार और सम्मान की लड़ाई छोड़ने वाले नहीं हैं।
प्रशासन के लिए चुनौती
ग्रामीणों के इस प्रदर्शन ने जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। प्रशासन अब इस आंदोलन को कैसे संभालता है और ग्रामीणों की मांगों पर किस प्रकार की पहल करता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।