
चाईबासा।झारखंड में नक्सल उन्मूलन की दिशा में गुरुवार को एक बड़ी सफलता मिली। चाईबासा पुलिस लाइन में आयोजित विशेष कार्यक्रम के दौरान भाकपा माओवादी संगठन के 10 सदस्यों ने झारखंड सरकार की उग्रवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वालों में चार महिलाएं भी शामिल हैं। सभी नक्सलियों ने झारखंड पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता के समक्ष अपने हथियार डालते हुए मुख्यधारा में लौटने और समाज की सेवा करने की इच्छा प्रकट की।
आत्मसमर्पण नीति को बताया देश की बेहतरीन नीति
कार्यक्रम में उपस्थित डीजीपी अनुराग गुप्ता ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का स्वागत करते हुए कहा कि “झारखंड की आत्मसमर्पण नीति देश की सबसे बेहतरीन नीतियों में से एक है। इस नीति के तहत नक्सलियों को समाज में नई शुरुआत करने का अवसर दिया जा रहा है।”उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें नई जिंदगी के अवसर, सरकारी सहयोग और पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा। वहीं, जो अब भी हथियार उठाए रखेंगे और हिंसा का रास्ता चुनेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुनर्वास योजना से मिलेगा नया जीवन
डीजीपी ने जानकारी दी कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और समाज में पुनर्स्थापना के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। सरकार की मंशा है कि इन लोगों को फिर से समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए, ताकि वे शांति और विकास की दिशा में योगदान दे सकें।
पुलिस के पास है नक्सल गतिविधियों का पूरा डेटा
कार्यक्रम के दौरान डीजीपी अनुराग गुप्ता ने यह भी कहा कि राज्य पुलिस के पास नक्सलियों की गतिविधियों और नेटवर्क की पूरी जानकारी उपलब्ध है। सुरक्षा बल लगातार क्षेत्र में अभियान चला रहे हैं और शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
क्षेत्र में शांति और विकास की दिशा में बड़ा कदम
इस आत्मसमर्पण को पुलिस और प्रशासन ने नक्सल उन्मूलन की दिशा में बड़ी उपलब्धि बताया है। अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से क्षेत्र में शांति स्थापित होगी और विकास कार्यों को गति मिलेगी।स्थानीय लोगों ने भी इस पहल का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि आने वाले समय में और भी उग्रवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ेंगे।