
चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला के चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय में भाजपा नेता अमित शाह पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे मानहानि केस में शनिवार को सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायाधीश के अवकाश पर रहने के कारण कोर्ट निजी उपस्थिति से छूट (Personal Exemption) के लिए राहुल गांधी द्वारा दायर किए गए आवेदन पर अपना फैसला नहीं सुना सका।
निजी उपस्थिति से छूट के लिए दिया गया है आवेदन
राहुल गांधी ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे में ट्रायल के दौरान निजी उपस्थिति से छूट के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) की धारा 205 के तहत एक आवेदन दाखिल किया है। इस आवेदन पर कोर्ट को 4 अक्टूबर को फैसला सुनाना था, लेकिन न्यायाधीश के अनुपस्थित रहने के कारण सुनवाई को टाल दिया गया।राहुल गांधी का केस देख रहे अधिवक्ता सुभाष चंद्र मिश्रा ने बताया कि इस प्रकरण में 22 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें पूरी हो चुकी थीं और अदालत ने उसी दिन आदेश सुरक्षित रख लिया था।
राजनीतिक और कानूनी महत्व
यह आवेदन राहुल गांधी के लिए कानूनी और राजनीतिक रूप से बेहद अहम है।यदि अदालत व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दे देती है, तो राहुल गांधी को ट्रायल के दौरान बार-बार कोर्ट में पेश होने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे वे अपने संसदीय और राजनीतिक कार्यक्रमों में बिना किसी बाधा के हिस्सा ले सकेंगे।यदि अदालत उनका आवेदन खारिज करती है, तो उन्हें मामले की आगे की सभी सुनवाइयों में व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष पेश होना पड़ेगा।कांग्रेस समर्थकों और पार्टी नेताओं की नजरें भी इस फैसले पर टिकी हुई हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर बेहद व्यस्त रहते हैं, इसलिए उनके लिए हर सुनवाई में उपस्थित होना संभव नहीं है।अब इस मामले में अगली तारीख 9 अक्टूबर 2025 निर्धारित की गई है, जिस दिन अदालत के फैसला सुनाने की उम्मीद है।