
चक्रधरपुर। चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार की सुबह अचानक सायरन की तेज आवाज गूंजने लगी, जिससे पूरे स्टेशन परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोग बिना कुछ समझे इधर-उधर भागने लगे और चारों ओर धुएं का गुबार फैल गया, जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया। हालांकि, कुछ ही देर में यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई वास्तविक दुर्घटना नहीं, बल्कि रेलवे द्वारा आयोजित एक बड़ी मॉक ड्रिल (मॉक अभ्यास) थी।
आपातकालीन तैयारियों का परीक्षण
इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में रेलवे की तत्परता और तैयारी को परखना था। ड्रिल के दौरान जानबूझकर एक काल्पनिक ट्रेन दुर्घटना की स्थिति निर्मित की गई। इस मॉक ड्रिल में बचाव कार्य को लेकर अभ्यास के तहत, ट्रेन के क्षतिग्रस्त डिब्बों से यात्रियों को खिड़की काटकर बाहर निकाला गया।बाहर निकाले गए यात्रियों को तत्काल राहत देने के लिए स्टेशन पर एक अस्थायी मेडिकल कैंप बनाया गया, जहाँ उनका प्राथमिक उपचार किया गया।
कई टीमों ने लिया हिस्सा
इस बड़े पैमाने के अभ्यास में रेलवे के विभिन्न विभागों के साथ-साथ बाहरी विशेषज्ञ बचाव दलों ने भी हिस्सा लिया जिसमे रेलवे की सिविल डिफेंस टीम, एनडीआरएफ 9वीं बटालियन और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स की टीम मौजूद रही ।रेलवे के रनिंग, इंजीनियरिंग, ऑपरेटिंग, मेडिकल और कमर्शियल विभागों के कर्मचारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
मौके पर डीआरएम तरुण हुरिया, एडीआरएम विनय हेंब्रम समेत रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने पूरी प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी की।
सतर्कता और सक्षमता का संदेश
रेलवे प्रशासन ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की तत्परता बनाए रखने के लिए ऐसे अभ्यास बेहद जरूरी हैं।रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया कि इस मॉक ड्रिल का मकसद यह संदेश देना था कि रेलवे हर आपदा की स्थिति में पूरी तरह सतर्क और सक्षम है।