
जमशेदपुर। बिष्टुपुर स्थित एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में आज आदिवासी महा दरबार का आयोजन किया गया। इसका आयोजन आदिवासी सांवता सुसार अखाड़ा द्वारा किया गया था, जिसमें झारखंड, बंगाल और ओडिशा के 2000 से अधिक माझी बाबा शामिल हुए। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
जल, जंगल, जमीन के लिए लड़ाई लड़ने का आह्वान
कार्यक्रम में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और संवैधानिक मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि बाबा तिलका मांझी से लेकर भगवान बिरसा मुंडा तक सभी ने जल, जंगल और जमीन के लिए लड़ाई लड़ी है। उन्होंने कहा कि हमें भी अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाने के लिए आगे बढ़कर लड़ना पड़ेगा।
चंपई सोरेन ने सुनाया नगड़ी का अनुभव
चंपई सोरेन ने कहा कि उन्होंने विश्व आदिवासी दिवस पर घोषणा की थी कि वे 24 तारीख को नगड़ी गांव में हल जोतेंगे, और सरकार में दम है तो उन्हें रोककर दिखाए। उन्होंने बताया कि कोल्हान, संथाल सहित कई जिलों में इसे रोकने के लिए छावनी बना दी गई थी, लेकिन मरांग गुरु की कृपा से उन्हें जीत मिली और वहां हल जोता गया।
पेसा कानून लागू करने की मांग
कार्यक्रम में सरना समिति की महिला उपाध्यक्ष निशा उरांव ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने भारतीय संविधान द्वारा आदिवासियों को दिए गए अधिकारों, रूढ़ि प्रथा, पेसा अधिनियम और ग्राम सभाओं के अधिकारों पर बात की। उन्होंने कहा कि पेसा कानून को लागू करने के लिए 15 साल से लड़ाई लड़ी जा रही थी, और अब हाईकोर्ट ने इसे तुरंत लागू करने का आदेश दिया है। उन्होंने जमीन अतिक्रमण, अधिग्रहण और धर्मांतरण पर भी अपनी राय रखी।