जमशेदपुर हाट : स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों के लिए बनेगा साझा मंच, उपायुक्त ने किया शिलान्यास

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जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिले में कारीगरों और शिल्पकारों की आजीविका को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। शनिवार को उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने साकची स्थित विश्वकर्मा प्वाइंट परिसर में ‘जमशेदपुर हाट’ के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उप विकास आयुक्त नागेन्द्र पासवान, अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद, उप नगर आयुक्त (जेएनएसी) कृष्ण कुमार तथा धालभूम के एसडीएम चंद्रजीत सिंह भी मौजूद रहे।

कारीगरों और शिल्पकारों को मिला साझा मंच

‘जमशेदपुर हाट’ का मुख्य उद्देश्य जिले के कारीगरों, शिल्पकारों और हस्तशिल्प से जुड़े समुदायों को एक साझा मंच उपलब्ध कराना है। यहां वे अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और बेचने का अवसर पा सकेंगे। इस पहल में बोडाम प्रखंड के अंधारझोर गांव के पारंपरिक वाद्य यंत्र निर्माताओं के साथ-साथ जिले के अन्य शिल्पकारों और कारीगरों के हस्तशिल्प व क्राफ्ट उत्पाद भी शामिल किए जाएंगे।इससे न केवल स्थानीय कला और परंपरागत कारीगरी को पहचान मिलेगी बल्कि युवाओं और महिलाओं को भी स्वरोज़गार से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

आत्मनिर्भरता की ओर महत्वपूर्ण कदम

उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने इस अवसर पर कहा कि जमशेदपुर हाट कारीगरों और शिल्पकारों की आजीविका संवर्धन का मजबूत माध्यम बनेगा। इससे उन्हें अपने उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा और उन्हें स्थानीय स्तर पर बाजार की सुविधा उपलब्ध होगी।उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि जिले की पारंपरिक कला और हस्तशिल्प को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही उत्पादों के विपणन, प्रशिक्षण एवं आधुनिक तकनीक से कारीगरों को जोड़ने के लिए भी निरंतर प्रयास किए जाएंगे।

राज्य सरकार की नीति से तालमेल

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह पहल राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। ‘जमशेदपुर हाट’ से जिले में स्वरोज़गार को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण इलाकों से जुड़ी प्रतिभाओं को नए अवसर मिलेंगे।

स्थानीय कारीगरों ने इस पहल का किया स्वागत

स्थानीय कारीगरों ने इस पहल का स्वागत किया है। उनका कहना है कि अब तक उनके पास अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और बेचने का स्थायी मंच नहीं था। ‘जमशेदपुर हाट’ से उन्हें न केवल एक स्थायी बाजार मिलेगा बल्कि उनकी कला को पहचान भी मिलेगी।जिला प्रशासन को उम्मीद है कि इस हाट के निर्माण से जिले में लोकल फॉर वोकल की अवधारणा को बढ़ावा मिलेगा और आने वाले समय में यहां के शिल्पकार राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों से भी जुड़ सकेंगे।

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