चांडिल में 42 घंटे से एनएच-33 पर महाजाम, यात्रियों की दुश्वारी बढ़ी, दुर्गापूजा का उत्साह फीका

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चांडिल:टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) पर पिछले 42 घंटे से भी अधिक समय से लगातार जाम लगा हुआ है। शुक्रवार की शाम से शुरू हुआ यह जाम रविवार दोपहर तक विकराल रूप ले चुका है। नारगाडीह से हमसादा तक लगभग 7 किलोमीटर लंबा जाम लगने से सैकड़ों वाहन और हजारों यात्री फंसे हुए हैं।

यात्रियों का जनजीवन अस्त-व्यस्त

इस जाम ने लोगों के जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। यात्री घंटों सड़क पर फंसे रहने को विवश हैं। भीषण जाम के बीच एंबुलेंस, वीआईपी वाहनों और लंबी दूरी की बसों के साथ-साथ दूध, अखबार और सब्जी ले जा रही गाड़ियां भी जाम में फंसी रहीं। यात्रियों की परेशानी चरम पर पहुँच चुकी है और लोग त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे हैं।

बिहार और कोलकाता रूट के यात्री सबसे ज्यादा प्रभावित

सबसे अधिक परेशानी लंबी दूरी की बसों में सफर कर रहे यात्रियों को हो रही है, खासकर बिहार और कोलकाता से आने-जाने वालों को। बसें घंटों जाम में फंसी रही, जिसके कारण यात्रियों को खाने-पीने और समय पर गंतव्य तक पहुँचने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

पुलिस और एनएचएआई की मशक्कत

जाम की गंभीरता को देखते हुए चांडिल थाना प्रभारी डिल्सन बिरुवा ने लगातार पुलिस बल के साथ सड़क पर डटे रहकर वाहनों को निकालने की कोशिश की। उन्होंने एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के पदाधिकारियों से भी दूरभाष पर बात कर जाम से मुक्ति दिलाने के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।

होटल व्यवसाय और व्यापार पर असर

लगातार तीन दिनों से जारी इस महाजाम का असर स्थानीय व्यवसाय पर भी दिखाई दे रहा है। टाटा-रांची हाइवे किनारे स्थित होटल और ढाबों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है। जहाँ पहले त्योहारों में यात्रियों की चहल-पहल रहती थी, वहीं अब होटल संचालक ग्राहकों के अभाव में चिंतित हैं।

दुर्गापूजा का उत्साह फीका

दुर्गापूजा के दौरान जब लोग पूजा पंडालों में जाने और त्योहार का आनंद लेने के लिए निकल रहे थे, उसी समय जाम की समस्या ने पूरे उत्साह को फीका कर दिया। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते जाम से राहत नहीं मिली तो आने वाले दिनों में त्योहार का आनंद उठाना मुश्किल हो जाएगा।

प्रशासन के लिए चुनौती

लगातार हो रहे जाम ने प्रशासन और पुलिस की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है और प्रशासन पर दबाव है कि जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्था और स्थायी समाधान निकाला जाए।

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