सरायकेला का नया अध्याय: अफीम के बजाय धान की लहलहाती फसलें

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सरायकेला: सरायकेला जिले के खरसावां प्रखंड स्थित रीडिंग पंचायत में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। यह पंचायत, जो कभी अवैध अफीम की खेती के लिए जानी जाती थी, आज हरे-भरे धान के खेतों से भरी हुई है। यह परिवर्तन सरकार, पुलिस-प्रशासन और स्थानीय किसानों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है, जो न केवल खेती का तरीका बल्कि पूरे क्षेत्र की मानसिकता को बदल रहा है।

जागरूकता और दृढ़ संकल्प का अभियान

पिछले साल, झारखंड सरकार के आदेश पर पुलिस और प्रशासन ने अवैध अफीम की खेती के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाया था। यह एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि लगभग 100 एकड़ जमीन पर अफीम की खेती हो रही थी। लेकिन प्रशासन ने हार नहीं मानी। सरायकेला पुलिस अधीक्षक और खरसावां थाना प्रभारी गौरव कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया और ग्रामीणों को जागरूक करने का काम शुरू किया। लगातार समझाने-बुझाने और परामर्श के बाद, किसानों ने अफीम की खेती छोड़ कर पारंपरिक फसलों को अपनाने का संकल्प लिया। इस अभियान के तहत 85 एकड़ से अधिक जमीन को अफीम की खेती से मुक्त कराया गया।

किसानों का समर्पण और उम्मीदें

रीडिंग पंचायत के किसानों ने अब अपनी गलतियों को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने बताया कि कुछ समय के लिए वे भटकाव के कारण अफीम की खेती करने लगे थे, लेकिन अब वे पूरी तरह से पारंपरिक खेती करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बदलाव उनकी आर्थिक स्थिति और समाज के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। किसानों ने अब सरकार से अपनी उपज के लिए उचित बाजार और सही दाम की मांग की है, ताकि वे अपनी मेहनत का पूरा लाभ उठा सकें और फिर से किसी अवैध गतिविधि की ओर न मुड़ें।

पुलिस-प्रशासन का सहयोग

खरसावां थाना प्रभारी गौरव कुमार ने इस सफलता का श्रेय पुलिस अधीक्षक, स्थानीय ग्रामीणों, प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों को दिया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि सामूहिक प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने युवाओं को आगाह किया कि अफीम की खेती न सिर्फ कानूनी रूप से गलत है, बल्कि यह उनके भविष्य को भी खतरे में डालती है।सरायकेला पुलिस अधीक्षक ने किसानों की तारीफ करते हुए उन्हें पारंपरिक खेती जारी रखने और प्रशासन का सहयोग करने की अपील की। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई दोबारा अवैध खेती में संलिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, किसानों के सकारात्मक रुख को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह बदलाव अब स्थायी हो चुका है।

एक नए समाज की दिशा में कदम

पूर्व उपाध्यक्ष और समाजसेवी मनोज कुमार चौधरी ने इस बदलाव को केवल खेती तक सीमित न मानते हुए इसे मानसिकता का परिवर्तन बताया। उन्होंने कहा कि यह बदलाव न केवल किसानों के जीवन में सुधार लाएगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए भी नए अवसर पैदा करेगा। यह क्षेत्र, जो कभी नक्सलवाद और अवैध गतिविधियों के लिए जाना जाता था, आज विकास और सकारात्मकता का एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।रीडिंग पंचायत की यह कहानी यह दर्शाती है कि जागरूकता, सहयोग और दृढ़ संकल्प से समाज में बड़ा बदलाव लाना संभव है। यह बदलाव एक बेहतर और उज्जवल भविष्य की नींव रख रहा है।

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